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Women empowerment: Improving farm women’s income through technological interventions

महिला सशक्तीकरण: तकनीकी के माध्यम से खेतीहर महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक-किसान बातचीत का आयोजन

तकनीकी के जरिए कृषि की महिलाओं की आय में सुधार करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और आर्थिक योग्यता बनाने के लिए तत्काल आवश्यकता है। इस दिशा में, 8 सितंबर, 2017 को किसानों और खेतीहर महिलाओं की आय में वृद्धि के लिए आई.सी.ए.आर. नेटवर्किग परियोजना "बागवानी की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पौधों में सूक्ष्म पोषक प्रबंधन" के तहत ग्राम नईबस्ती, मलिहाबाद, लखनऊ में वैज्ञानिक-किसानों के बीच बातचीत का आयोजन किया गया। डॉ घनश्याम पांडे, डॉ देवेंद्र पांडे, डॉ नीलिमा गर्ग, डॉ अदक, डॉ राम कुमार, डॉ एस आर सिंह और डॉ ए.के. भट्टाचार्य ने प्रतिभागियों के साथ बातचीत की। किसान, खेती की महिलाओं, ग्रामीण युवाओं और लड़कियों ने उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम में भाग लिया और गुणवत्ता वाले फल और सब्जियों के उत्पादन के लिए कई सवाल उठाए। किसानों ने सवाल उठाया कि आम और अमरूद में फलों के फटने को कैसे रोका जाए तथा आम के कीटों जैसे पत्ती के जालाकीट, उकठा, सूखा रोग, फलमक्खी आदि के नियंत्रण के बारे में भी सवाल उठाए। डॉ तरुण अदक ने गुणवत्तायुक्त फल उत्पादन के लिए ज़िंक और बोरोन की कमी को दूर करने का तथा अक्टूबर के महीने तक मिट्टी में ज़िंक और बोरोन के प्रयोग के साथ ही फलों के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में करने का सुझाव दिया। अक्टूबर के अंत तक आम और अमरूद के लिए पोषक तत्वों के प्रयोग और जल प्रबंधन के बारे में भी किसानों को जाग्रत किया गया। इसके अलावा,आम और अमरूद कीटों के नियंत्रण उपायों के बारे में सलाह दी गई और तथा सभी प्रासंगिक साहित्य (हिंदी में) को किसानों के बीच वितरित किया गया। डॉ नीलिमा गर्ग ने किसानों और खेतीहर महिलाओं को आम तौर पर कच्चे आमों से अमचूर बनाकर आय पैदा करने के लिए प्रेरित किया। यह उत्पाद कम से कम 300 रुपये प्रति किलोग्राम की अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकता है। आम का गूदा व अन्य उत्पादों को बनाने के लिए भी सलाह दी गई थी। संस्थान द्वारा विकसित आम प्रसंस्करण से सम्बंधित मुफ्त मोबाइल ऐप के बारे में बताया। प्रतिभागियों ने फलों और सब्जियों की प्रसंस्करण द्वारा मूल्य में वृद्धि पर प्रशिक्षण के लिए गहरी दिलचस्पी दिखाई। डॉ जी. पांडे ने किसानों को प्रभावी कैनोपी प्रबंधन, अन्तःफसल, नर्सरी उत्पादन, जल की कमी के दौरान नमी संरक्षण और आम में जेली बीज नियंत्रण के लिए कैल्शियम क्लोराइड के छिड़काव के बारे में सुझाव दिया। सब्जियों का उत्पादन विशेषकर ऑफ-सीजन सब्जियां ग्रामीणों द्वारा अतिरिक्त आय अर्जित कर सकती हैं जैसा कि डॉ एसआर सिंह ने बातचीत की और सुझाव दिया। पोषण और अतिरिक्त कमाई के लिए, डॉ देवेन्द्र पांडे और डॉ राम कुमार ने गांव में पोषक स्मार्ट उद्यान के विकास के लिए बेल, आंवला और केला की फसल शामिल करने का पर जोर दिया। डॉ ए.के. भट्टाचार्य ने आम और अमरूद के बगीचों में कीटनाशकों के सुरक्षित इस्तेमाल के विषय में अवगत कराया।